जीभ की फैट को कम कर लेंगे तो नींद से संबंधित गंभीर बीमारियों से मिल जाएगा छुटकारा

जीभ की फैट को कम कर लेंगे तो नींद से संबंधित गंभीर बीमारियों से मिल जाएगा छुटकारा

सेहतराग टीम

क्या आपकी जीभ मोटी है। क्या रात को सोते खर्राटे लेते हैं। सोते-सोते सांस रुक जाती है। अगर ऐसा है तो आप दुनियाभर में मौजूद 100 करोड़ों लोगों में शामिल हैं जिन्हें स्लीप एपनिया (नींद संबंधी विकार) की समस्या है। दरअसल एक स्टडी में दावा किया गया है कि अगर आप जीभ की फैट को कम कर लेगें तो आपकी नींद संबंधी समस्याएं ठीक हो जाएंगी।

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यह स्टडी अमेरिकन जर्नल ऑफ़ रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित हुई। युनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिलवेनिया के पेन मेडिसिन स्लीप सेंटर के सह-निदेशक और मुख्य शोधकर्ता डॉ. रिचर्ड स्कवैच का कहना है कि मोटापा स्लीप एपनिया का मुख्य कारण है पर जीभ भी इसकी एक वजह है।

शोधकर्ताओं ने एमआरआई जांच से 67 मोटे लोगों के मुंह के ऊपरी हिस्से  स्वास नलिका में घटे 10 फीसदी फैट का आंकलन किया। इसमें पता चला कि जिन लोगों के जीभ का फैट कम हुआ उनमें स्लीप एपनिया के मामले में 31 फीसदी सुधार हुआ। रिचर्ड कहते हैं जीभ से जितना फैट कम होगा नींद संबंधी रोगों का में उतना सुधार होगा।

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जीभ पर फैट क्यों बढ़ रही है

डॉ.रिचर्ड का कहना है कि शरीर के अंग जीभ का प्रयोग बात करने, सांस लेने और खाना खाने में होता है। सवाल यह है कि आखिर इस पर फैट क्यों बढ़ रही है। इसका पता हमें नहीं चल पाया है लेकिन आने वाले समय में इस पर शोध होगा हालांकि ये स्पष्ट है कि जीभ का मोटापा कम हो तो स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं का खतरा कम होगा।

भारत में स्लीप एपनिया के रोगी

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 में से एक व्यक्ति किसी न किसी तरह के नींद संबंधी विकार से पीड़ित है। आज के समय में 15 साल से अधिक उम्र के लोगों में इसके शुरूआती लक्षण दिखने लगते हैं। 35 की उम्र के बाद ये बीमारी गंभीर रूप ले लेती है जिसके बारे में उस व्यक्ति को पता ही नहीं होता है। जिसे ये तकलीफ होती है जिसके कारण नींद में होने के दौरान परेशानी का शुरू होना है।          

क्या है ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में सोने के दौरान गले की मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं जिससे सांस की नली का पैसेज पतला हो जाता है। इससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और शरीर का ऑक्सिजन लेवल प्रभावित होने लगता है। कई बार सांस अचानक बंद और चालू होती है जिससे दिमाग शरीर को जागने का संकेत देता है और व्यक्ति की नींद खुल जाती है। इस स्थिति में व्यक्ति जागने पर खुद को गहरी सांस लेता हुआ पाता है। इसके मरीज नींद लेने के बाद भी खुद को थका हुआ ही महसूस करते हैं।

दिमाग को खतरा

शोध के अनुसार ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इसमें नींद के दौरान सांस लेने में रूकावट आती है। इससे दिमाग के सफ़ेद भाग को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। तनाव की शिकायत हो सकती है। इस रोग से पीड़ित लोगों में हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह होने का खतरा भी रहता है।

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ये लक्षण हैं बीमारी के संकेत

  • दिन-रात बहुत अधिक नींद आना।
  • सोते वक़्त नाक से तेज आवाज आना।
  • सुबह उठने के साथ सिर में दर्द रहना।
  • अपने काम में ध्यान न लगा पाना।
  • ब्लड प्रेशर का बढ़ना, बेचैनी होना।

जीभ का फैट कम करने के कुछ तरीके

  • जीभ का फैट कम करने के लिए आप टंग से जुड़ी कुछ एक्सर्साइज कर सकते हैं।
  • अपनी जीभ के टिप को पीछे की तरफ ले जाएं और उस पर जोर डालें। इस स्टेप को 20 बार दोहराएं।
  • जीभ को ऊपर की ओर मोड़ने के बाद उसके टिप को उल्टा यानी अंदर की तरफ मोड़ें। इसे भी 20 बार दोहराएं।
  • जीभ को मुंह से बाहर की ओर निकाले और जितना हो सके उसे बाहर लाने की कोशिश करें। ऐसा 10 बार करें।

 

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